गुलज़ार अहमद
जनपद के डुमरियागंज तहसील के वासा दरगाह गाँव में भी इमाम हुसैन की याद में जमकर अज़ादारी होती है। बीते 10 वर्षों से गाँव में मजलिसों और जुलूस का दौर बढ़ता ही जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी मुहर्रम का चाँद होते ही गाँव में स्थित बारगाहे आले रसूल में मजालिस का दौर शुरू हो गया। इमाम हुसैन के चाहने वालों ने अपने अपने घरों पर भी मजलिस का आयोजन किया जिसमें वक्ताओं ने कर्बला के वाक़ये या विस्तार में वर्णन किया। 7 मोहर्रम को स्थानीय बारगाहे आले रसूल से अलम के जुलूस की शुरुआत होती है जो पूरे गाँव का भ्रमण करके लोगो को कर्बला की घटना की याद दिलाता है। 10 मुहर्रम को ताज़िए का जुलूस निकलता है। आपको बताते चलें कि वासा दरगाह में विधिवत ढंग से अज़ादारी की शुरुआत का पूरा श्रेय पूर्व पुलिस अधिकारी एवं धार्मिक विद्वान स्वर्गीय क़ाज़ी मुज़ैनुल हक़ को जाता है, जिन्होंने सेवानिवृत होने के बाद पूरा समय इस्लामिक अध्ययन को दिया और उन्ही के प्रयासों से वासा दरगाह में इमाम हुसैन की मजलिसों का सिलसिला शुरू हुआ। वर्तमान में गाँव के निवासियों द्वारा बनाई गयी संस्था "हुसैन फ़ॉर ह्यूमैनिटी" के बैनर तले अज़ादारी के सभी प्रोग्राम किये जाते हैं। इस बाबत बात करने पर "हुसैन फ़ॉर ह्यूमैनिटी फाउंडेशन" के सेक्रेटरी इंजीनियर क़ाज़ी इमरान लतीफ़ ने बताया कि वासा दरगाह सादात बाहुल्य गाँव है और तक़रीबन 100-150 वर्षों पहले यहाँ जमकर अज़ादारी होती थी। लेकिन धीरे धीरे ये सिलसिला खत्म हो गया था। इमरान ने बताया कि तक़रीबन 12 वर्षों पहले उनके नाना मरहूम मुज़ैनुल हक़ ने मजलिस और अज़ादारी की वापस शुरुआत की, और ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहने के साथ साथ साल दर साल बढ़ता जा रहा है। क़ाज़ी इमरान ने कहा कि इन हुसैनी मजालिस के ज़रिये हम सब समाज में इमाम हुसैन की क़ुर्बानी का असल मक़सद पहुचाने का प्रयास करते हैं। इमरान ने कहते हैं कि इन मजलिसों के माध्यम से लोगों को बताया जाता है कि इस्लाम धर्म शिक्षाएं सत्य, अहिंसा, त्याग, बलिदान, ईमानदारी, आपसी भाईचारे और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देती हैं। वासा दरगाह में हुसैन फ़ॉर ह्यूमैनिटी फाउंडेशन के मुख्य सरंक्षक शहज़ादा तस्कीन वारसी की देख रेख में ताजियादारी की जाती है। अज़ादारी के कार्यक्रमों में इंजिनियर सलमान लतीफ़, क़ाज़ी इमरान लतीफ़ एवं अफ़ज़ल हमीद् बतौर खतीब और मुश्ताक़ अहमद आदि बतौर शायर बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।