सगीर ए खाकसार/स्वतंत्र पत्रकार बढ़नी.
खलीलाबाद लोक सभा सीट से 1985 में कांग्रेस के सांसद रहे डॉ चंद्र शेखर त्रिपाठी उस दौर के राजनीतिज्ञ हैं जब राजनीति समाज सेवा का एक विशुद्ध माध्यम माना जाता था। तब के और आज के नेताओं के चाल,चरित्र और व्यवहार में गहरा फर्क साफ़ साफ़ दिखाई पड़ता है।श्री त्रिपाठी कांग्रेस पार्टी सिद्धार्थनगऱ के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं।फिलवक्त बांसी में रहते हैं। राजनीति, साहित्य, के अलावा समसायिक मुद्दों पर पैनी नज़र रखते हैं।स्वतंत्र पत्रकार सगीर ए खाकसार से श्री त्रिपाठी ने लंबी बात चीत की।प्रथम विश्व युद्ध से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी।पेश है यहाँ बात चीत के मुख्य अंश। 76 वर्षीय श्री त्रिपाठी ने कहा कि मनमोहन सिंह की सरकार ने भी समय समय पर पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया था।लेकिन कभी अपनी पीठ नहीं थपथपाई।राजनैतिक फायदे के लिए उसे भुनाने की रत्ती भर कोशिश नहीं की।लेकिन वर्तमान सरकार हर काम को पहली बार बता कर उसका राजनैतिक लाभ लेने की फ़िराक में रहती है। अभी ऑपरेशन जिंजर के दस्तावेज़ी सबूतों ने पूर्व सरकार के दावों की पुष्टि भी की है क़ि किस तरह हमारी सेना पाकिस्तान में घुस कर उनको मुंह तोड़ जवाब दिया है।किसी भी सियासी दल को राष्ट्रीय हित के मसले पर अपनी दलीय निष्ठा को हावी नहीं होने देना चाहिए।हमारे देश की सेना ने काबिले तारीफ काम किया है।हम सेना की बहादुरी को सलाम करते हैं। ईंट से ईंट जोड़ने से दीवार बनती है ।मुहब्बत की और भाई चारे की।लेकिन यहाँ तो एक एक ईंटों को अलग करने का काम हो रहा है।ऐसा करने से हम कमज़ोर होंगे।फिलवक्त के हालात पर उन्होंने असंतोष ज़ाहिर करते हुए कहा क़ि हर बात पर मुसलमानों पर संदेह करना और उन से देश भक्ति का सर्टिफिकेट मांगना अब एक फैशन हो गया है।ये स्थितियां खतरनाक हैं।ये सब बंद होना चाहिए।श्री त्रिपाठी ने कहा समाज में कई स्तरों पर भिन्नताएं और असमानता बढ़ रही है।आर्थिक विषमता के साथ साथ नफरत की खाई भी चौड़ी होती जा रही है।आर्थिक असमानता क्रांति को जन्म देती है ।जब एक अमीर आदमी का कुत्ता दूध पियेगा और गरीब का बच्चा दूध के लिए तड़पेगा तो ऐसे हालात क्रांति के लिए लोगों को मजबूर करेंगे।किसानों के मसले पर बातचीत कर ते हुए श्री त्रिपाठी ने कहा कि किसान परेशान है।कृषि योग्य ज़मीने हर रोज़ घट रही हैं।अनदाता की बदहाली किसी भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।गरीब किसान आत्म हत्याएं करने को मजबूर हैं।वो क़र्ज़ तले दबा हुआ।वहीं बड़े लोगों के कर्ज़े माफ़ किये जा रहे हैं।किसी भी सरकार की प्राथमिकता गुडवत्ता युक्त शिक्षा,बेहतर स्वास्थ्य सेवा,शानदार और सुगम सड़के और सबका विकास होना चाहिए।तभी देश आगे बढ़ेगा।